Sunday, December 14, 2008

एयर कार बचाएगी तेल का खर्च

जहां आज दुनिया मंदी के दौर से गुज़र रही है.....जिसके कहर से कोई भी देश बच नहीं पाया है......इस कहर का सीधा असर आम आदमी पर भी पड़ा है.....और ऊपर से पैट्रोल डीज़ल की आसमान छूती कीमतों ने तो आम आदमी की बस कमर ही तोड़ रखी है......कुछ समय पहले तक कार निर्माता कंपनियां तेल को कभी न कम होने वाले रिसोर्स के तौर पर देखती थीं........लेकिन बढ़ती तेल कीमतों और लगातार कम होते भंडार ने उन्हें दोबारा सोचने को मजबूर कर दिया है.....ऐसे में अब जोर इस बात पर है कि लोग ईंधन के ऐसे वैकल्पिक साधनों का इस्तेमाल करें......जो उनके खर्च को कम से कम रख सकें.....आज के दौर में सीएनजी को.......पेट्रोल और डीजल के सबसे लोकप्रिय विकल्प के रूप में अपनाया जा रहा है...........इस ईंधन का खर्च तो कम है ही, साथ ही इसे आसानी से हासिल भी किया जा सकता है। 19 रुपए प्रति किलो की दर पर मिलने वाली सीएनजी से गाड़ी चलाने का खर्च एक रुपए प्रति किमी के करीब आता है, जबकि पेट्रोल से गाड़ी चलाने पर आपको प्रति किमी साढ़े तीन रुपए खर्च करने पड़ते हैं....पेट्रोल और डीजल के मुकाबले एलपीजी भी काफी सस्ती है, लेकिन सीएनजी से सस्ती नहीं........दिल्ली में एलपीजी की कीमत है करीब 36 रुपए प्रति लीटर........इससे माइलेज तो पेट्रोल के बराबर ही मिलता है, लेकिन इसकी कम कीमत रनिंग कॉस्ट को कम कर देती है......मारुति......वैगन आर और 800.........को एलपीजी के साथ बाज़ार में पेश कर चुकी है.......जबकि हिंदुस्तान मोटर्स की लांसर सीडिया और सीडान भी एलपीजी में आती है.....ह्यूंडाई / ह्यूंदै मोटर्स भी सैंट्रो और एक्सेंट को एलपीजी में लॉन्च करने वाली है.........वहीं एक तरफ है हाईड्रोजन जिसे भविष्य का ईंधन माना जा रहा है। इसे साफ-सुथरा ईंधन भी कहा जाता है क्योंकि इससे हानिकारक पदार्थों का उत्सर्जन नहीं होता है.........इसके साथ दिक्कत यह है कि इसकी स्टोरेज एक खास तापमान पर ही होती है और इसे एक जगह से दूसरी जगह ले जाने का खर्च भी बहुत ज्यादा आता है। द सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स..............हाइड्रोजन के सीएनजी ब्लेंड को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने की संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं........अब बात एयर पावर की.........टाटा मोटर्स की कोशिशें कामयाब रहीं....तो जल्दी ही एयर पावर की मदद से लोग गाड़ियां चलाने में कामयाब हो पाएंगे। टाटा मोटर्स ने एक फ्रेंच कंपनी से ऐसी तकनीक हासिल की है...जिसमें कंप्रेस्ड एयर की मदद से वाहन चलाए जा सकते हैं और उनसे पौल्यूशन भी नहीं होता.........अगर यह तकनीक कामयाब हो गई तो इसकी मदद से एक कार को 100 किमी चलाने का खर्च 67 रुपए आएगा। एक खास बात और ये है की एयर पावर से चलने वाली कारों की रीफिलिंग भी नॉर्मल फिलिंग स्टेशन पर ही होगी और सौ रुपए के ईंधन में आप कार को 200 किमी तक चलाने में कामयाब हो जाएंगे। टाटा मोटर्स की योजना इस तकनीक को इंडिका कार के साथ लॉन्च करने की है। एयर पावर को भी टक्कर देने वाले कई सारे ईंधन के रूप जल्द ही बाज़ार में उपलब्ध होने वाले जिनकी सहायता से इस मंदी के दौर में आम आदमी कार में चलने के बारे में सोच सकता है......।

टाटा की नई पेशकश

टाटा ने अपनी लखटकिया कार नैनो के आने से पहले ही उसके नाम से लोगों को इतना लुभा लिया....की हर कोई टाटा के इस ड्रीम प्रोजेक्ट का मुरीद हो गया......नैनो तो अगले साल जुलाई तक बाज़ार में आने ही वाली है......इसके अलावा टाटा ने एक और प्रोजेक्ट पर काम शुरु कर दिया है जिसके तहत वो एक ऐसी कार बनाने जा रहे हैं....जो की पैट्रोल और डीज़ल से ना चलकर हवा से चलेगी....जी हां....आपने सही सुना ये कार हवा से ही चलेगी....और इस कार का नाम होगा टाटा सिटी केट.......इस कार को बनाने की शुरूआत होती है लक्समबर्ग से....लक्समबर्ग के मोटेर डवलपमेंट इंस्टिट्यूट मे इस कार का प्रोटोटाइप बनकर तैयार है....इस कार के अविष्कारक हैं पूर्व फार्मूला वन इंजीनियर गाय नेगर....गाय नेगर ने इस प्रदूषणरहित कार का प्रोटोटाइप बनाकर मोटर जगत में एक हलचल पैदा कर दी है...इस कार की डिजायन बनाने में लगभग 10 साल का समय लगा है....नेगर के मुताबिक एक बार शुरू होने के बाद यह कार 150 मील प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड सकती है और 200 किमी तक का सफर तय कर सकती है....हांलांकि यह कार हवा से चलती है, इसमे एयर पम्प की सहायता से हवा भरी जाती है, जो इसके फायबर से बने टेंक में कम्प्रेस्ड रूप मे इकट्ठी हो जाती है....हवा भरने में सिर्फ 2 मिनट का ही वक्त लगता है......कार के चलते ही ये हवा फैलती है और इंजिन में पिस्टन को धकेलती है जिससे उसे गति प्राप्त होती है....इसके अलावा यह इंजिन वातावरण मे मौजूद गर्मी को शोषित कर और ज्यादा ऊर्जा प्राप्त करता है.....कार का एयरकंडिश्निंग सिस्टम भी इसी हवा से चलता है......बहरहाल यह कार पूरी तरह से प्रदूषणरहित है जिसकी वजह से इसका मेंटेनेंस खर्च भी बहुत कम है.....एक अनुमान के मुताबिक ये कार 100 रूपये मे करीब 200 किलोमीटर तक चल सकती है.......एम.डी.आई. इंस्टीट्यूट ने अपने विस्तारण की योजना के अंतर्गत कई यूरोपीय और एशियन कम्पनियों के साथ करार किए हैं.......टाटा मोटर्स भी इनमें से एक प्रमुख साझेदार बना है. एम.डी.आई. के मुताबिक टाटा मोटर्स की भागीदारी से कम्पनी को तकनीकी सलाह मिलेगी और टाटा मोटर्स के अनुभव से इस प्रोजेक्ट को काफी मदद मिलेगी.....टाटा मोटर्स का दावा है कि इस कार को और बेहतर बनाने और इसको ज्यादा कार्यक्षम बनाने में अभी कम से कम दो साल का वक्त लगेगा.....अभी इसकी तकनीक में सुधार की काफी सम्भावना है.......इसके अलावा इस कार को हाइब्रिड रूप भी दिया जा रहा है जिससे यह कार हवा और ईंधन दोनों से चल सके.......अभी यह प्रोजेक्ट शुरूआती दौर मे है, लेकिन जल्द ही भारत की सडकों पर एक ऐसी कार दौडेगी जो हवा से चलेगी..........लेकिन तबतक आप और हम लखटकिया कार से संतुष्ट रह सकते हैं................।

Saturday, November 22, 2008

पत्रकारिता का सौदा...

दिल्ली की रात जिसके अंधेरे में होता है...एक ऐसा खेल जिसके बार में सुनते ही आपके होश फाख्ता हो जाएंगे....जी हां ये है वो खेल जिसे खेलना वाला कोई और नहीं ब्लकि होता है देश का चौथा स्तंभ....पत्रकार...और यही पत्रकार खेलता है इस खेल को....आप सोच रहे होंगे की वो कौन सा खेल खेलते हैं....वो इस खेल में करते हैं सौदा भी....और वो भी कोई छोटा-मोटा सौदा नहीं....वो सौदा करते हैं विज्युल्स का जिसे कहते हैं...ट्रांसफर कहते हैं...इस खेल में हर चैनल का पत्रकार हिस्सा लेता....चांहे वो बड़े चैनल से ताल्लुक रखता हो या छोटे से....और ये खेल होता है दिल्ली के दिल कनॉट प्लेस के पीवीआर रिवोली के सामने...इसी के साथ इन पत्रकारों में इतनी एकता है कि वहां की दुकान वाला उन्हें चाय के पैसे देने के लिए कहता है तो ये लोग उसे ये कहके धमकाते हैं कि अगर वो पैसे मांगेगा तो वो उसके खिलाफ खबर दिखा देंगे की वो देर रात तक दुकान खोलता है...ये लोग वहीं इकट्ठा होकर किसी भी स्टोरी को ड्रोप करने का माद्दा तक रखते हैं...चांहे वो खबर कितनी अच्छी क्यों ना हो...मैं इस लेख के ज़रिए आपको दिखाना चाहता हूं आज के पत्रकार का असली चेहरा....इसके बारे में अपनी प्रतिक्रिया ज़रूर दें...
रोहित कुमार शर्मा

Friday, November 21, 2008

सेक्स पर भारी सेंसेक्स

आज दुनिया एक ऐसे वैश्विक संकट से गुजर रही है....जिसका हल निकालना मुश्किल लग रहा है...अगर इसका हल निकल भी गया तो इससे उबरने में एक लम्बा वक्त लगने वाला है....जी हां आपने सही सोचा.....ये संकट है आर्थिक मंदी...जिसने दुनिया भर के निवेशकों के दिलों में एक अजीब सी ही दहशत पैदा कर दी है...आर्थिक मंदी के कारण भारतीय दम्पतियों के रिश्तों में खटास आने लगी है...नौबत यहां तक आ गई है की तलाक तक होने लगे हैं....क्योंकि आर्थिक मंदी ने इनकी सेक्सुयल लाइफ को पूरी तरह डिस्टर्ब कर दिया है...एक शोध के मुताबिक भारतीय कपल्स की अंडरस्टेंडिंग बहुत ही खराब हो चुकी है...भारतीय मनौवैज्ञानिकों की माने तो....इस संबंध में किए गए आकलन से ये बात सामने आई है कि जिस तरह से शेयर बाजार का सेंसेक्स ऊपर-नीचे हो रहा है....उसी तरह लोगों की सेक्सुअल लाइफ भी प्राभावित हो रही है....मनौवैज्ञानिकों का मानना तो यहां तक है की मंदी से कई भारतीयों की सेक्सुअल लाइफ ठंडी पड़ चुकी हैं....बेडरूम में फाइनेंशियल क्राइसिस के असर की स्टडी के लिए भारत, आमेरिका और यूरोप में ज्वाइंट रिसर्च की जा रही है......इस स्टडी में वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ सेक्सोलॉजिस्टस की भी मदद ली जा रही है.....। वहीं लंदन में की गई एक स्टडी के मुताबिक शेयर मार्केट में कामयाबी के लिए सेक्स हॉर्मोन टेस्ट्सटेरॉन जिम्मेदार होते हैं। अगर सुबह के समय इन हॉर्मोन्स का लेवल हाई रहता है तो दिन में मुनाफे के ज्यादा चांस रहते हैं.....कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में हुई इस दिलचस्प रिसर्च के मुताबिक टेस्ट्सटेरान हॉर्मोन के असर से आत्मविश्वास और रिस्क लेने की क्षमता में बढ़ोतरी हो जाती है। फाइनेंशिल ट्रेडिंग में कामयाबी के लिए इन दोनों ही गुणों की सख्त जरूरत होती है....मार्केट में काम करने वाले खासा तनाव और दबाव महसूस करते हैं......उनके द्वारा इन सबके बीच किए गए फैसले कई बार उनके बिजनेस ही नहीं बल्कि पूरे मार्केट पर लम्बे समय के लिए असर डालने वाले होते हैं.......लंदन की ये रिसर्च बताती है कि ये फैसले भावनात्मक और हॉर्मोन से जुड़े कारकों से प्रभावित हो सकते हैं.......रिसर्च के मुताबिक खासे दबाव के बीच वित्तीय फैसले लेने से जुड़ी कोई भी थ्योरी हॉर्मोन के कारक की अनदेखी नहीं कर सकती। बिना अनुमान के लिया गया जोखिम खतरनाक हो सकता है। इसके मुताबिक मार्केट के माहौल में कोई ट्रेडर कैसा काम करता है , इसमें भी उसके हॉर्मोन की अहम भूमिका होती है। स्टडी से जुड़े प्रोफेसर जो हर्बट के मुताबिक अब हॉर्मोन लेवल के मार्केट पर व्यापक प्रभावों की जांच की जा रही है। इन नतीजों के साथ ही एक चेतावनी भी है वो ये है कि टेस्ट्सटेरान हॉर्मोन का जरूरत से ज्यादा बढ़ा हुआ लेवल गैर जरूरी रिस्क लेने के लिए भी उकसा सकता है.....हॉर्मोन का ट्रेडरों पर असर जांचने के लिए रिसर्चरों ने उनका दिन में दो बार सलाइवा टेस्ट किया। एक बार बिजनेस से पहले और दूसरा दिन भर के काम के बाद। सैंपलिंग लेने के टाइम ट्रेडरों के प्राफिट और लॉस का भी हिसाब रखा गया। इस डेटा की एनालिसिस करके निष्कर्ष दिए गए........रिसर्च बताते हैं कि 9/11 की घटना के बाद अमेरिकी कपल्स ने इस सदमे से उबरने के लिए सेक्स का सहारा लिया था.....और इसका एक अच्छा असर देखने को भी मिला जिसके बाद 85 फीसदी कपल्स इस सदमे से उबरने में कामयाब रहे...इन दोनों ही रिसर्चों के बाद ये कहना गलत नहीं होगा की ज्यादातर पश्चिमी देश विकसित इसी लिए हैं कि उनके पास नाकामयाबी को भी कामयाबी में बदलने का हर नुस्खा मौजूद है........
रोहित कुमार शर्मा

सोमालिया के समुद्री लुटेरों की अब खेर नहीं

जहां आजकल चारों ओर आर्थिक मंदी की आग फैली हुई है जिसने कई ज़िंदगियां तबाह कर के रख दी हैं...आर्थिक मंदी की वजह से लोग अपनी रोज़-मर्राह की ज़रूरतों या यूं कहें की अपनी रोज़ाना की सहूलियतों को तक में कम करने को मजबूर हैं....लेकिन सोमालिया के समुद्री लुटेरों पर इस मंदी का कोई असर पड़ता नज़र नहीं आ रहा है...वो तो दिनों दिन अपनी शैतानियत की वजह से खूब मजे ले रहे हैं...और आए दिन किसी न किसी जलपोत को अगुवा करके भारी-भरकम फिरौती वसूलते रहते हैं...इनकी इसी शैतानियत पर लगाम लगाने के लिए संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने भारतीय नौसेना को सोमालियाई जल क्षेत्र में घुसकर इन जल दस्युओं को ठिकाने लगाने की अनुमति दे दी है....जानकारी के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र में भारतीय स्थायी प्रतिनिधि को प्रस्ताव संख्या 1838 के हवाले से स्पष्ट किया गया है........कि दूसरे देशों की नौसेनाओं के जैसे ही इंडियन नेवी भी सोमालिया के जल क्षेत्र में जाकर इन समुद्री लुटेरों के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है..........अरब सागर में तैनाती के समय भारत दूसरे देशों की नौसेनाओं के साथ अनौपचारिक तौर पर सहयोग कर रहा है। हिंद महासागरीय ताकतों के साथ भारतीय नौसेना तालमेल कायम कर रही है और नाटो देशों के जंगी जहाजों के साथ भी अनौपचारिक तौर पर काम कर रही है............अलबत्ता भारत किसी भी कीमत पर वहां सक्रिय तीनों में से किसी भी गठबंधन के बैनर तले नहीं खड़ा होगा.......वह सिर्फ संयुक्त राष्ट्र के तहत ही काम करने को तैयार है...........इस बीच यह भी स्पष्ट है कि अदन की खाड़ी में भारतीय नौसेना दो जंगी पोत तैनात नहीं कर रही है, बल्कि उसका विध्वंसक जंगी पोत आईएनए मैसूर इस समय वहां गश्त कर रहे आईएनएस तबर का स्थान लेगा.........दिल्ली क्लास का विध्वंसक जंगी पोत आईएनएस मैसूर मौजूदा पोत से कहीं ज्यादा ताकतवर है। सोमालियाई सरकार ने पिछले महीने ही संयुक्त राष्ट्र को लिखी एक चिट्ठी में अनुरोध किया था कि जल दस्युओं से निपटने का कोई रास्ता जल्द ही निकाला जाए। इस अनुरोध पर संयुक्त राष्ट्र ने 8 अक्टूबर को प्रस्ताव 1838 पारित किया। इससे पहले संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव 1814 और 1816 पहले से ही लागू थे। इसी बीच, अदन की खाड़ी में समुद्री लुटेरों के खिलाफ भारतीय नौसेना की कार्रवाई से प्रभावित अंतरराष्ट्रीय नौवहन एजेंसी के एक बड़े अधिकारी ने भारत की तर्ज पर अफ्रीकी जल क्षेत्र में मौजूद सभी विदेशी नौसेनाओं के संदिग्ध जहाजों को रोककर उनकी तलाशी लेने की पैरवी करते हुए कहा कि इससे डकैतों के अभियान को नाकाम करने में मदद मिल सकेगी.........। लेकिन कुछ भी अब भारतीय नौसेना ही इन समुद्री लुटेरों की नाक में नकेल डालने में कामयाब होगी....
रोहित कुमार शर्मा
आपकी नज़र से होगी अब हर खबर...