Wednesday, November 25, 2009

26/11 ना भुलाया जाने वाला दर्द

26 नवंबर 2008...वो दिन जब देश पर हुआ अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला...जिसको झेला मायानगरी...मुंबई ने.....कभी ना रुकने वाली मुंबई भी उस दिन थम गई थी....वो कराह रही थी और लगा रही थी मदद की गुहार.....लेकिन पूरे साठ घंटे तक चला......मौत का नंगा नाच देखने वाली वो मुंबई आज भी उस मंज़र को याद कर सिसक उठती है....इस आतंकी हमले में किसी मां की गोद सूनी हुई.....कई औरतों ने सदा सुहागन होने का आशिर्वाद लेने के बाद बेवा होने का दर्द झेला.....कई बच्चों के सिरों से मां-बाप साया उठ गया....कई बहनें राखी बांधने वाले उस हाथ को आज भी ढूंढ रही हैं.....लेकिन ये इंतज़ार तो कभी ना खत्म होने वाला इंतज़ार बन गया है अब.....ये मुंबई है एक आम मुंबईकर से जो इसकी शान बढाता है.....लेकिन ये आम मुंबईकर आज भी उस काले दिन लगे दंश की टीस को झेल रहा है...इसकी टीस को झल रहे आम लोग आज भी अपने हक को पाने के लिए...दर-दर भटक रहे हैं...मुआवजों का ऐलान करना भर ही क्या सरकार की ज़िम्मेदारी बनती है....जिसके बाद वो निश्चिंत होकर बैठी इन मज़लूमों की दास्तां के ज़रिए वोट बटोरने की तैयारी में लगी हुई है....26/11 के शिकार लोगों में से कुछ को आज तक ना तो किसी तरह का कोई मुआवजा मिला है....ना ही किसी तरह की कोई मदद....कई तो ऐसे भी हैं....जो ज़िंदगी भर अपाहिजों की जिंदगी जीने को मजबूर हैं....वो अपना दर्द आखिर किसके आगे बयां करे....क्योंकि इनकी तो सुनने वाला भी कोई नहीं......पहले ये लोग 26/11 के शिकार हुए फिर उसके बाद अब....सिस्टम और सरकार की उदासीनता के.......इस सरकारी वादाखिलाफी ने इनकी ज़िंदगी और भी बदतर कर दी है.....बीते दिनों 26/11 के शिकार हुए लोगों के पुनर्वास में हो रही देरी के चलते राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में एक पेटिशन भी दायर की गई है....जिसके तहत....याचिकाकर्ताओं की मांग है......भारत सरकार.....रेल मंत्रालय.....और महाराष्ट्र सरकार उस वक्त किये गए अपने वायदों को जल्द से जल्द पूरा करें......दरअसल 403 पीड़ितों में से सिर्फ 118 को ही अब तक मुआवजे की राशि मिली है वो भी प्रधानमंत्री राहत कोश में से....अपाहिजों की तरह गुज़र-बसर करने वाले ये लोग...क्या अपने हक की सिर्फ मांग ही करते रह जाएंगे या फिर....ये मांग ही इनके जीवन का एकमात्र लक्ष्य बन कर रह जाएगी....

Friday, November 6, 2009

सच का सामना...

बीते दिनों स्टार प्लस पर एक रिएलिटी शो सच का सामना ने बहुत धूम मचाई....इसकी जमकर आलोचना भी की गई....इसने बहुत सुर्खियां भी बटोरीं....इस प्रोग्राम की बेहद प्रशंसा भी की गई....लेकिन क्या इसका कोई असर समाज पर पड़ा....? जिसके नाम पर आज के समझदार नेताओं ने इसे सदन में मुद्दा तक बना दिया....इन साहबज़ादों का कहना था....की इस कार्यक्रम का समाज पर बहुत ही बुरा असर पड़ेगा.....फिर भी दो-चार किस्से ऐसें सुनने को जरूर मिले जिनके ज़रिए इस प्रोग्राम पर उंगलियां उठीं...जो थे सच की वजह से जान गंवाने के......लेकिन क्या सच किसी की जान ले सकता है...? इस सवाल के जवाब का इंतज़ार मैं आज भी कर रहा हूं...यदि आप किसी बड़ी इमारत की नींव झूठ के मसाले पर बनाओगे तो उसका ढहना तो लाजिमी ही है...शायद...मेरे जैसे कई लोग इस बात से इत्तेफाक भी रखते हों...और कुछ इत्तेफाक ना रखते हों...इसी तरह आप अपने जीवन की शुरुआत झूठ से करेंगे तो भविष्य में होने वाली तबाही को रोकना नामुमकिन है....तो क्या इस तरह के शो को बंद करना सही है...? ये बात रही इस शो की लेकिन...कल ही की बात है...एक जनाब...जो की मेरे बेहद खास मित्रों में से हैं....मैंने उनका सामना एक सच से क्या करा दिया...उनके तो हाव-भाव ही बदल गए...बस सच की बुराई शायद यही है...की वो बहुत कड़वा होता है, जिसे हजम करना हर किसी के बस की बात नहीं है....अगर आपमें इसे हजम करने की ताकत है तो आप कुछ भी कर सकते हैं...मेरा तो मानना यही है...लेकिन इस घटना ने मुझे ये सोचने पर ज़रूर मजबूर कर दिया की सच कहीं-न-कहीं आपको आपके अपनों से दूर ज़रूर कर देता है...लोग कहते हैं की मुंहफट लोग बहुत अच्छे होते हैं लेकिन सच्चाई तो शायद कुछ और ही है...यदि जीवन अच्छे से जीना हो तो आपको एक बेहतर राजनीतिज्ञ होना ज़रूरी हो जाता है...क्या आप मेरी इस बात से सहमत हैं...?

Tuesday, November 3, 2009

बिगड़ैल ड्रैगन...एक और चाल

अपनी फितरत के मुताबिक....चीन ने एक बार फिर भारत पर दबाव बनाने की कोशिश शुरु कर दी है.....इस बार उसका मुद्दा हैं......तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा.....चीन ने दलाई लामा की अरूणाचल प्रदेश यात्रा को एक अलगाववादी गतिविधि करार दे दिया है......और कहा....लामा चीन और भारत के संबंधों में दरार डालने की कोशिश कर रहे हैं......दरअसल तिब्बतियों के धर्मगुरू दलाई लामा...अगले हफ्ते 8 नवम्बर को अरुणाचल दौरा करने वाले हैं.....जिसके कई हिस्सों पर चीन बहुत पहले से अपना दावा करता रहा है.....चीनी सरकार इस यात्रा का विरोध पहले भी कर चुकी है.....चीन ने दलाई लामा के इस दौरे की बार-बार आलोचना भी की है......चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने मंगलवार को दलाई लामा की गतिविधियों की निंदा की और कहा........दलाई लामा अक्सर झूठ बोलते हैं और अन्य देशों के साथ चीन के संबंधों को क्षति पहुंचाने की कोशिश में लगे रहते हैं.......वाह भई वाह......चीन को अगर कोई सच्चाई का आइना दिखा दे वो उसके बुरा हो जाता है.....जैसे दलाई लामा उसके लिए बुरे हैं......साथ ही उन्होंने विश्वास जताते हुए कहा......मुझे पूरा भरोसा है कि भारत के साथ चीन के संबंधों को क्षति पहुंचाने की दलाई लामा की कोशिशें सफल नहीं हो पाएंगी.....अब आप ही बताइये ये विश्वास फिजूल नहीं तो और क्या है......अरे भैया आपने विश्वास तो जता दिया लेकिन ये विश्वास जताया किस पर है.....मुगालते में तो रहना मत की भारत इस मामले में कुछ करेगा.....वहीं चीन नाम के इस गिरगिट अपना दूसरा रंग भी इसी मुद्दे के साथ एक नया मुद्दा उठाते हुए दिखाया.....चीन ने कश्मीर के लोगों के अलग वीजा देने की नीति अपना रखी थी...जिसको देखते हुए भारत नें कई बार विरोध भी दर्ज कराया.....लेकिन नतीजा निकला सिफ़र.........भारत ने मित्र देशों के नागरिकों के लिये व्यापारिक वीजा पालिसी को काफी आसान कर रखा था...नतीजन देश में काम हासिल करने वाली चीनी कंपनियां अपने अधिकारियों को तो लेकर आय़ी हीं......अपने मजदूर भी लेकर भारत आने लगे.......यानि की चीन को बच्चा समझकर कंधे पर बैठाया तो उसने कान में ही **** दिया.....चीन की इस हरकत को देखते हुए भारत ने व्यापरिक वीजा के नियमों में बदलाव किया जिस पर चीन को फिर आपत्ति है........भारत ने इसके बाद से वीजा देने के लिए कुछ कड़े दिशानिर्देश भी जारी किए हैं....जो शायद चीन को रास नहीं आ रहे हैं.....इसके मद्देनजर चीन का कहना है की....भारत में चल रहे कई कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट उधूरे पड़े हैं......और हमे इसका अफसोस है....वाह भैई फिजूल का अफसोस भी जता दिया....अफसोस जताने के बाद चीन का कहना है......हम वीजा की इस परेशानी का जल्द ही कोई हल निकाल लेंगे.....क्योंकि भारत को हमारे तकनीशियनों की जरूरत जरूर पड़ेगी.....वाह भैई सब कुछ करने के बाद भी ये आशा लगाए बैठें ड्रैगन जनाब की भारत ही उनके सामने हाथ फैलाकर.....उनसे उनके तकनीशियनों की मांग करेगा.....कभी-कभी इंसान को गलतफ़हमी में भी जीना चाहिए और चीन उसी गलतफ़हमी में जी रहा है.....।

Tuesday, August 25, 2009

आहट...

ज़ख्म मुस्कुराते हैं अब भी तेरी आहट पर,
दर्द भूल जाते हैं अब भी तेरी आहट पर...।

शबनमी-सितारों पर फूल खिलने लगते हैं,
चांद मुस्कुराते हैं अब भी तेरी आहट पर...।

उम्र काट दी लेकिन बचपना नहीं जाता,
हम दिए जलाते हैं अब भी तेरी आहट पर...।

तेरी याद आए तो नींद जाती रहती है,
हम ख़ुशी मनाते हैं अब भी तेरी आहट पर...।

अब भी तेरी आहट पर चांद मुस्कुराते हैं,
ख्वाब गुनगुनाते हैं, अब भी तेरी आहट पर...।

अब भी तेरी आहट पर आस लौट आती है,
अश्क हम बहाते हैं, अब भी तेरी आहट पर...।

Thursday, June 11, 2009

जलन…

जी हां जलन...अगर जलन को ही दूसरे शब्दों में कहा जाए तो दूसरे की सफलता आंखों में खटकना...और वो भी जब...जब आपको पता हो की जो दूसरा कर सकता है वो मैं नहीं...कर सकता...ये वो जलन ही है जिसके चलते अच्छे से अच्छे दोस्त दुश्मन बन जाते हैं...आपका सवाल होगा की वो कैसे...तो सुनिए...एक ऑफिस की कहानी...जहां...एक व्यक्ति कार्यरत था जिसका नाम था...राम...वो इस संस्थान से जुड़ने से पहले कहीं और काम करता था जहां उसका एक दोस्त था...रहीम...अब राम ने तो नया ऑफिस ज्वॉइन कर लिया...तो ज़ाहिर सी बात है की उसकी जान-पहचान भी नए लोगों से हुई होगी...उनमें से ही एक था...श्याम...जो राम का जूनियर था...लेकिन दोनों के बीच की बॉंडिंग बहुत ही मज़बूत थी...लेकिन एक दिन राम का पुराना मित्र रहीम भी इस नए संस्थान से जुड़ गया...श्याम रहीम का भी जूनियर ही था...श्याम की रहीम के साथ भी अच्छी बनने लगी...यहां एक मोड़ आया...वो था काम को लेकर...रहीम बहुत ही अच्छा काम जानने वाला व्यक्ति था...जिससे श्याम काफी ज्यादा प्रभावित था...वो आए दिन राम से रहीम की तारीफ करता रहता था...जो शायद राम को अच्छा नहीं लगता था...धीरे-धीरे राम रहीम से जलने लगा...और ये जलन कब असुरक्षा(INSUCURITY) में बदली ये पता ही नहीं चला...और इसका परिणाम ये निकला की इस जलन के चलते उसने अपना एक दोस्त तो खोया ही साथ ही कही न कही एक ऐसे शागिर्द को भी खो दिया जो उसके एक इशारे पर मरने मारने को तैयार बैठा रहता था...इस कहानी से आपको समझ तो आया ही होगा की ये जलन क्या होती है...

Wednesday, May 27, 2009

आज का मनहूस दिन...

जी हां...आज मेरा यानि के रोहित कुमार शर्मा का जन्मदिन है...और आज ये शुभ दिन में शायद ही कभी भूल पाऊं...क्योंकि आज बहुत कुछ ऐसा हुआ है जो जिसकी शायद मैनें कभी कल्पना भी नहीं करी थी...वैसे आपने सुना तो होगा ही...कुत्ता सबसे वफादार जानवार होता है...लेकिन एक ऐसा जानवर औऱ है जो इससे ज्यादा वफादार होता है...आप चौंकिए मत...उसका नाम है...ड्रैगन...यानि के मैं...रोहित कुमार शर्मा...मुझे लोग मेरे नाम के बजाए ड्रैगन के नाम से जानते हैं...लेकिन आज मुझे जो बर्थ डे गिफ्ट मिला है वो तो गज़ब का ही है...अब तक तो आप समझ चुके होंगे की मैं क्या कहना चाहता हूं...मैं कहना चाहता हूं...की मुझे इस वफादारी के बदले कुछ मिला है और वो है...दुत्कार...जी हां...जिस व्यक्ति पर मैंने आंखें मूंद कर भरोसा किया...यहां तक की अपने ही ऑफिस के कई लोगों से लड़ाईंयां तक कीं...उसके लिए गधे की तरह काम किया...आज उसने ही मुझ पर आरोप लगाते हुए कह दिया की मैं...अपनी टीम में राजनीति कर रहा हूं...इस बात से मुझे खासा धक्का तो लगा लेकिन इस घटना से मेरी आंखें ज़रूर खुल गईं...की मीडिया क्या इस दुनिया में सब अकेले हैं...कोई तुम्हारा नहीं...इसलिए आप से मेरा अनुरोध है की किसी भी व्यक्ति पर आँखें मूंद कर विश्वास ना करें...ये मेरे इस जन्म दिन पर मिले पहले उपहार की रही अब बात दूसरे उपहार की...जी हां...एक और मिला है...किसी और से नहीं...बल्कि उससे जिससे मैं अपने माता-पिता को छोड़कर दुनिया में सबसे ज्यादा मुहब्बत करता हूं...यानि के एक ऐसा इंसान...जो मुझे बहुत प्यारा है...लेकिन मैं तो उसकी आंखों में बुरी तरह खटकता हूं...उसने मुझे मेरे जन्मदिन पर अब तक तो बधाई दी ही नहीं यही मेरा दूसरा उपहार रहा...
रोहित कुमार शर्मा

Tuesday, May 26, 2009

ममता ने संभाला कार्यभार...


आखिरकार...बंगाल वाली दीदी ने...रेल संभाल ही ली...और तमाम लोगों को राहत भी दे दी...जो मंत्रालय का कार्यभार संभालने को किसी नई मुसीबत की आहट समझ रहे थे....लेकिन दीदी ने ऐसा कुछ नही किया और थोडी से मनुहार के बाद...रेल को हरी झंडी दिखा ही दी...लेकिन सहाब दीदी का अंदाज...उनके बयानों और उनकी सोच के अनुरूप ही था....एक सीधा.साधा और सपाट...उन्होने अपने अंदाज से सबको चौकाने के साथ ही परंपराओं को पीछे छोड़ दिया...और कोलकाता में अपने समर्थकों के बीच ही..मंत्रालय का कार्यभार संभाल लिया...दिल्ली में कार्यभार ना संभालने की वजह भी...उन्होंने पश्चिम बंगाल में हुई तबाही को बताया...जिस वजह से जब उनके लोग परेशान थे तो वो दिल्ली नहीं जा सकती थी...वैसे...ममता सोमवार को ही तूफान प्रभावितों की मदद के सिलसिले में प्रणब दा से कई बार बातचीत भी कर चुकी हैं....और कुछ दिनों तक रेल मंत्रालय को कोलकाता से ही संभालेंगी...हालाकि कि ममता पहले भी ये कह चुकी हैं..वो पांच दिन कोलकाता में और दो दिन दिल्ली में रहेंगी....जाहिर है ममता की कामना कुछ बड़ा पाने की है...और रेल मंत्रालय तो इसकी शुरूआत भर है...उनका असली मकसद..तो कुछ और है..जिसे वो राज्य की सियासत के बदले हालातों में जल्द से जल्द पा लेना चाहती हैं..ताकि...बंगाल के लालों को हरी क्षंड़ी दिखाकर...रेल के साथ साथ..सियासत भी अपनी मर्जी से ही चलाऐ जाऐ.....हांलाकि ममता के मंत्रालय संभालने के बाद.. तृणमूल कांग्रेस के चार सांसद सौगत राय, शिशिर अधिकारी, सी.एम जटुआ और मुकुल राय मंत्रीमंडल के विस्तार में शामिल होने के लिए...दिल्ली रवाना हो चुके हैं...।

अंट-शंट

मैं एक दिन ब्लॉग लिखने बैठा...सिस्टम के सामने बैठने से पहले मेरे दिमाग़ में बहुत सारे विषय थे लेकिन बैठते ही नाजाने सारे विषय कहां चले गए...तभी एकाएक मैने सोचा की सभी ब्लॉगर कुछ ना कुछ लिखते रहते हैं...और उनके विषय भी रोचक होते हैं...लेकिन ये तो ज्यादातर अंट-शंट ही होते हैं...जैसे की...क्या हनुमान जी के और भी पांच भाई थे...हाथ पीले हो गए...चेंजिंग रूम...(मैं किसी भी ब्लॉगर की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाना चाहता हूं...अगर मुझसे किसी तरह की गलती हो गई हो तो मुझे माफ करें...)। ये भी क्या कोई विषय हैं...अरे कुछ ऐसा लिखो जिसे पढ़कर किसीको किसी तरह की मदद मिले...अंट-शंट लिखने लग जाते हैं...लोग-बाग...ये तो मात्र बक***यां हैं...अगर यही करना है तो अपने दोस्तों के साथ महफिल जमाओ...और जितनी मर्ज़ी बक*** करनी है करो...इसी को देखते हुए मैंने भी सोचा की कुछ अंट-शंट ही लिख लिया जाए...तो लीजिए हम ने लिख डाला अंट-शंट...

Friday, May 22, 2009

डा.मनमोहन सिंह और 19 मंत्रियों ने ली शपथ...

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र अठाहरवें...के सत्रहवें प्रधानमंत्री के रूप में...डा.मनमोहन सिंह ने आज राष्ट्रपति भवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह शपथ ली...और मंत्रिमंडल को लेकर चल रही माथापच्ची के बाद...मंत्रीमंडल में शामिल होने वाले 19 मंत्रियों ने भी शपथ...ली...जिनमें 3 महिलाएं भी थीं...इन सभी के नाम यूपीए प्रमुख...सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री ने पाइनल किए थे...प्रधानमंत्री के इस नए मंत्रिमंडल में पी. चिदंबरम...प्रणव मुखर्जी...ए. के. ऐंटनी...शरद पवार...कपिल सिब्बल...आनंद शर्मा...सी. पी. जोशी...एस.एम.कृष्णा...गुलाम नबी आजाद...बी. के. हांडिक...मुरली देवड़ा...वीरप्पा मोइली...ममता बनर्जी...सुसील कुमार शिंदे...जयपाल रेड्डी...मीरा कुमार...अंबिका सोनी...वायलार रवि और कमलनाथ शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक आज जिन मंत्रियों ने शपथ ली उनको यूपीए चेअरपर्सन सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने फोन कर सूचित किया था। बहरहाल ये शपथ ग्रहण समारोह...संपन्न हो गया...लेकिन जो रस्साकसी मंत्रिमंडल को लेकर चल रही है...अब वो और तेज़ हो सकती है...ऐसा माना भी जा रहा की जिन लोगों को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल पाई उन्हें मंगलवार को शपथ दिलाई जाएगी। मंगलवार को जयराम रमेश, सलमान खुर्शीद, जतिन प्रसाद और ज्योतिरादित्य सिंधिया शपथ लेने वालों में शामिल हो सकते हैं...

Saturday, January 17, 2009

पाकिस्तान की फितरत, इंकार करने की फितरत

भारत ने पाकिस्तान को जो सबूत सौंपे है...और जिन्हें पाकिस्तान सिर्फ जानकारी या सूचना मात्र ही मान रहा है...वो हैं...

पहला सबूत
अजमल आमिर कसाब का कबूलनामा।

दूसरा सबूत
ताज होटल और नरीमन हाउस में हमला कर रहे आतंकवादियों की पाक या पीओके में बैठे अपने आकाओं से सैटलाइट फोन के जरिए हुई बातचीत की कॉल डिटेल।

तीसरा सबूत
हालाकिं आकाओं की पहचान पुख्ता नहीं है, लेकिन आशंका कि ये मुजम्मिल, अबू काफा, जरार शाह या लखवी हो सकते हैं। बातचीत की वॉइस मैपिंग भी की गई है।

चौथा सबूत
सैटलाइट फोन के वो सभी नंबर जिनसे भारत से बहार कॉल हुई और जिन पर कॉल रिसीव की गई। इन नंबरों से इनकी लोकेशन का पता लगाना काफी आसान हुआ।

पांचवां सबूत
आतंकवादियों के आका अफगानिस्तान के क्वेटा और जलालाबाद के अलावा, दुबई और अबू धाबी गए। मुजफ्फराबाद और कराची से इनका मूवमेंट भी दर्ज हैं।

छठा सबूत़
गिलगिट में आईएसआई के एक टॉप जनरल और स्टाफ ऑफिसर के बीच 26/11 के अटैक के बारे में हुई बातचीत का रिकॉर्ड।

सातवां सबूत
कराची से मुंबई आने के लिए हाइजैक किए गए फिशिंग ट्रॉलर एमवी कुबेर से मिली लॉग बुक।

आठवां सबूत
ग्लोबल पॉजिशनिंग सिस्टम यानी जीपीएस सेट जिसके ज़रिए आतंकी मुंबई पहुंचने में कामयाब हुए।

नौवां सबूत
पाक निर्मित नाइन एमएम की पिस्तौलें जो की पेशावर की डायमंड नेवी फ्रंटियर आर्म्स कम्पनी...में बनाई गई हैं।

दसवां सबूत
ऑस्ट्रिया की जिस कम्पनी में घटना को अंजाम देने वाले हथगोले बने हैं उसकी फ्रेंचाइज़ी पाकिस्तान के रावलपिंडी स्थित एक ऑर्डेनेंस फैक्ट्री के पास है।

लेकिन पाक के लिए ये सबूत उसकी हरकतों,मुबई हमलों में उसके हाथ ही नही गले तक धंसे होने के सबूत नही सिर्फ सूचनाऐं हैं ।

कश्मीर बना आरामगाह

कश्मीर...या फिर यूं कहें धरती का स्वर्ग...लेकिन इस स्वर्ग को पिछले कई सालों से आतंकियों की गोलियों से तार-तार होना पड़ रहा है...लेकिन कश्मीर की तस्वीर का एक और पहलू है और वो बड़ा ही सुखद है। मनोहारी कश्मीर की जिन पर्वत श्रृंखलाओं में आतंकियों ने पनाह तलाशी, उन्हीं में तेजी से गायब हो रहे स्नो लेपर्ड यानी हिम तेंदुए को भी सुरक्षित ठिकाने मिले। यही वजह है कि यह खूबसूरत प्राणी जम्मू-कश्मीर में कहीं ज्यादा चैन से रह रहे है। भारत सरकार भी अब प्रोजेक्ट स्नो लेपर्ड शुरू करने जा रही है, जिससे इनकी संख्या और बढ़ने की उम्मीद जगी है। जम्मू-कश्मीर के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन एके श्रीवास्तव के मुताबिक- जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्ताराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में प्रोजेक्ट स्नो लेपर्ड को स्वीकृति मिली है और अब हाथी और टाइगर प्रोजेक्ट की ही तरह प्रोजेक्ट स्नो लेपर्ड भी शुरू होगा। उन्हें भरोसा है कि सरकारी संसाधन जुटने के बाद कश्मीर की बर्फ से ढकी चोटियां हिम तेंदुए को और भी बेहतर माहौल दे सकेंगी। वो कहते हैं कि इन इलाकों में अगर यह जानवर कुछ दिख रहा है, तो इसका श्रेय स्थानीय लोगों को है, जिनकी कोशिशों से इन्हें बेहतर पनाह मिली है।

Friday, January 2, 2009

ख़ुशियां बदली मातम में...

दुनिया भर में नए साल का स्वागत किया जै रहा था...भारत में भी 2009 का स्वागत बड़ी ही गर्मजोशी के साथ किया गया...भारत के एक पूर्वोत्तर राज्य असम में भी लोग नए साल के आगमन में लगे हुए थे...लेकिन उनकी खुशियां किसी से देखी नहीं...गईं जी हां..असम में आतंकवादियों ने एक के बाद एक तीन सिलसिलेवार बम धमाके कर राजधानी गुवाहाटी को दहला कर रख दिया...इस आतंकी घटना में नौं लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी...50 से ज्यादा लोग घायल हो गए...इस आतंकी घटना में उल्फा का हाथ होने की बात पुलिस ने पूरी तरह से स्वीकार ली है...।