Wednesday, November 25, 2009

26/11 ना भुलाया जाने वाला दर्द

26 नवंबर 2008...वो दिन जब देश पर हुआ अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला...जिसको झेला मायानगरी...मुंबई ने.....कभी ना रुकने वाली मुंबई भी उस दिन थम गई थी....वो कराह रही थी और लगा रही थी मदद की गुहार.....लेकिन पूरे साठ घंटे तक चला......मौत का नंगा नाच देखने वाली वो मुंबई आज भी उस मंज़र को याद कर सिसक उठती है....इस आतंकी हमले में किसी मां की गोद सूनी हुई.....कई औरतों ने सदा सुहागन होने का आशिर्वाद लेने के बाद बेवा होने का दर्द झेला.....कई बच्चों के सिरों से मां-बाप साया उठ गया....कई बहनें राखी बांधने वाले उस हाथ को आज भी ढूंढ रही हैं.....लेकिन ये इंतज़ार तो कभी ना खत्म होने वाला इंतज़ार बन गया है अब.....ये मुंबई है एक आम मुंबईकर से जो इसकी शान बढाता है.....लेकिन ये आम मुंबईकर आज भी उस काले दिन लगे दंश की टीस को झेल रहा है...इसकी टीस को झल रहे आम लोग आज भी अपने हक को पाने के लिए...दर-दर भटक रहे हैं...मुआवजों का ऐलान करना भर ही क्या सरकार की ज़िम्मेदारी बनती है....जिसके बाद वो निश्चिंत होकर बैठी इन मज़लूमों की दास्तां के ज़रिए वोट बटोरने की तैयारी में लगी हुई है....26/11 के शिकार लोगों में से कुछ को आज तक ना तो किसी तरह का कोई मुआवजा मिला है....ना ही किसी तरह की कोई मदद....कई तो ऐसे भी हैं....जो ज़िंदगी भर अपाहिजों की जिंदगी जीने को मजबूर हैं....वो अपना दर्द आखिर किसके आगे बयां करे....क्योंकि इनकी तो सुनने वाला भी कोई नहीं......पहले ये लोग 26/11 के शिकार हुए फिर उसके बाद अब....सिस्टम और सरकार की उदासीनता के.......इस सरकारी वादाखिलाफी ने इनकी ज़िंदगी और भी बदतर कर दी है.....बीते दिनों 26/11 के शिकार हुए लोगों के पुनर्वास में हो रही देरी के चलते राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में एक पेटिशन भी दायर की गई है....जिसके तहत....याचिकाकर्ताओं की मांग है......भारत सरकार.....रेल मंत्रालय.....और महाराष्ट्र सरकार उस वक्त किये गए अपने वायदों को जल्द से जल्द पूरा करें......दरअसल 403 पीड़ितों में से सिर्फ 118 को ही अब तक मुआवजे की राशि मिली है वो भी प्रधानमंत्री राहत कोश में से....अपाहिजों की तरह गुज़र-बसर करने वाले ये लोग...क्या अपने हक की सिर्फ मांग ही करते रह जाएंगे या फिर....ये मांग ही इनके जीवन का एकमात्र लक्ष्य बन कर रह जाएगी....

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