Thursday, April 8, 2010

आज भी याद है मुझको

तेरा यूं मुस्कुरा के भाग जाना आज भी याद है मुझको
तेरा यूं हिचकिचा के ख़ामोश कर जाना आज भी याद है मुझको
तेरा आंखे दिखा के भूल जाना आज भी याद है मुझको
तेरा गलती करके माफी मांगना आज भी याद है मुझको
तेरी आंखों की खामोशियों का शोर आज भी याद है मुझको
तेरा होठों की थरथराहट आज भी याद है मुझको
मेरे सामने आकर तेरा यूं कंपकपाना आज भी याद है मुझको
तेरे चंचल मन की शररातें आज भी याद हैं मुझको
नज़रों के बाणों ये घायल करने की अदा आज भी याद है मुझको
मगर कुछ भूला हूं तो बस तेरा नाम भूला हूं
रुसवाई के डर से ही तेरा नाम भूला हूं
कुछ भूला हूं तो, तेरी गली रास्ता भूला हूं
तुझे भुलाने की चाह में ही, तेरी ग़ली का रास्ता भूला हूं
लेकिन, क्या करूं तेरी सादगी है की मुझको याद आती है
तेरी याद आती है, रातों को जगाती है, कुछ ज्यादा ही सताती है
इसीलिए तू आज भी याद है मुझको, आज भी याद है मुझको

6 comments:

Madhukar said...

ऐंक्खें, वाह जी वाह।

नरेश चन्द्र बोहरा said...

तुझे भुलाने की चाह में ही, तेरी ग़ली का रास्ता भूला हूं
लेकिन, क्या करूं तेरी सादगी है की मुझको याद आती है

इन्हें पढ़कर किसे अपना बीता वक़्त याद नहीं आएगा. बहुत अच्छा लिखा है. शुभकामनाएं

Amitraghat said...

तेरा यूं मुस्कुरा के भाग जाना आज भी याद है मुझको
तेरा यूं हिचकिचा के ख़ामोश कर जाना आज भी याद है मुझको"......बहुत शानदार लाईनें..."

Abhishek said...

दिल को छू गई

Unknown said...

छिनैती की लाइनों से बचकर। रोहित ने लिखी मौलिक पंक्तियां। मोगैम्बो खुश हुआ।

Unknown said...

वाह,वाह मजा आ गया...क्या कभी कोई मोहब्बत के पलों को भुला पाया है। भुलाने का दावा करना को मन को बहलाना है....