Tuesday, August 25, 2009

आहट...

ज़ख्म मुस्कुराते हैं अब भी तेरी आहट पर,
दर्द भूल जाते हैं अब भी तेरी आहट पर...।

शबनमी-सितारों पर फूल खिलने लगते हैं,
चांद मुस्कुराते हैं अब भी तेरी आहट पर...।

उम्र काट दी लेकिन बचपना नहीं जाता,
हम दिए जलाते हैं अब भी तेरी आहट पर...।

तेरी याद आए तो नींद जाती रहती है,
हम ख़ुशी मनाते हैं अब भी तेरी आहट पर...।

अब भी तेरी आहट पर चांद मुस्कुराते हैं,
ख्वाब गुनगुनाते हैं, अब भी तेरी आहट पर...।

अब भी तेरी आहट पर आस लौट आती है,
अश्क हम बहाते हैं, अब भी तेरी आहट पर...।