Friday, November 6, 2009

सच का सामना...

बीते दिनों स्टार प्लस पर एक रिएलिटी शो सच का सामना ने बहुत धूम मचाई....इसकी जमकर आलोचना भी की गई....इसने बहुत सुर्खियां भी बटोरीं....इस प्रोग्राम की बेहद प्रशंसा भी की गई....लेकिन क्या इसका कोई असर समाज पर पड़ा....? जिसके नाम पर आज के समझदार नेताओं ने इसे सदन में मुद्दा तक बना दिया....इन साहबज़ादों का कहना था....की इस कार्यक्रम का समाज पर बहुत ही बुरा असर पड़ेगा.....फिर भी दो-चार किस्से ऐसें सुनने को जरूर मिले जिनके ज़रिए इस प्रोग्राम पर उंगलियां उठीं...जो थे सच की वजह से जान गंवाने के......लेकिन क्या सच किसी की जान ले सकता है...? इस सवाल के जवाब का इंतज़ार मैं आज भी कर रहा हूं...यदि आप किसी बड़ी इमारत की नींव झूठ के मसाले पर बनाओगे तो उसका ढहना तो लाजिमी ही है...शायद...मेरे जैसे कई लोग इस बात से इत्तेफाक भी रखते हों...और कुछ इत्तेफाक ना रखते हों...इसी तरह आप अपने जीवन की शुरुआत झूठ से करेंगे तो भविष्य में होने वाली तबाही को रोकना नामुमकिन है....तो क्या इस तरह के शो को बंद करना सही है...? ये बात रही इस शो की लेकिन...कल ही की बात है...एक जनाब...जो की मेरे बेहद खास मित्रों में से हैं....मैंने उनका सामना एक सच से क्या करा दिया...उनके तो हाव-भाव ही बदल गए...बस सच की बुराई शायद यही है...की वो बहुत कड़वा होता है, जिसे हजम करना हर किसी के बस की बात नहीं है....अगर आपमें इसे हजम करने की ताकत है तो आप कुछ भी कर सकते हैं...मेरा तो मानना यही है...लेकिन इस घटना ने मुझे ये सोचने पर ज़रूर मजबूर कर दिया की सच कहीं-न-कहीं आपको आपके अपनों से दूर ज़रूर कर देता है...लोग कहते हैं की मुंहफट लोग बहुत अच्छे होते हैं लेकिन सच्चाई तो शायद कुछ और ही है...यदि जीवन अच्छे से जीना हो तो आपको एक बेहतर राजनीतिज्ञ होना ज़रूरी हो जाता है...क्या आप मेरी इस बात से सहमत हैं...?

3 comments:

मधुकर राजपूत said...

सच का सामना मतलब अपना मुंह पिटवाना, कौन सुसरा सड़क पे ठाली घूम रहा है मुंह छितवाने को। छोडो सच का सामना फामना

Unknown said...

सच तो सच है, अमिट है,अमर है लेकिन अगर किसी भलाई के लिए झूठव भी बोला जाए तो सच से ऊपर होता है। वैसे काफी सुधार किया है लेखनी में,आज कल कौन सा च्यवणप्राश ढकोस रहे हो।

Pawan Kumar said...

रोहित जी
नज़र से खबर....पर पहली दफा आमद की...........आम आदमी की नज़र से जो आपने देखा है वो सही बयां किया है....
अखबारों और मीडीया के जरिये आपकी बात बहुत दुरुस्त लगती है.....