Saturday, November 22, 2008

पत्रकारिता का सौदा...

दिल्ली की रात जिसके अंधेरे में होता है...एक ऐसा खेल जिसके बार में सुनते ही आपके होश फाख्ता हो जाएंगे....जी हां ये है वो खेल जिसे खेलना वाला कोई और नहीं ब्लकि होता है देश का चौथा स्तंभ....पत्रकार...और यही पत्रकार खेलता है इस खेल को....आप सोच रहे होंगे की वो कौन सा खेल खेलते हैं....वो इस खेल में करते हैं सौदा भी....और वो भी कोई छोटा-मोटा सौदा नहीं....वो सौदा करते हैं विज्युल्स का जिसे कहते हैं...ट्रांसफर कहते हैं...इस खेल में हर चैनल का पत्रकार हिस्सा लेता....चांहे वो बड़े चैनल से ताल्लुक रखता हो या छोटे से....और ये खेल होता है दिल्ली के दिल कनॉट प्लेस के पीवीआर रिवोली के सामने...इसी के साथ इन पत्रकारों में इतनी एकता है कि वहां की दुकान वाला उन्हें चाय के पैसे देने के लिए कहता है तो ये लोग उसे ये कहके धमकाते हैं कि अगर वो पैसे मांगेगा तो वो उसके खिलाफ खबर दिखा देंगे की वो देर रात तक दुकान खोलता है...ये लोग वहीं इकट्ठा होकर किसी भी स्टोरी को ड्रोप करने का माद्दा तक रखते हैं...चांहे वो खबर कितनी अच्छी क्यों ना हो...मैं इस लेख के ज़रिए आपको दिखाना चाहता हूं आज के पत्रकार का असली चेहरा....इसके बारे में अपनी प्रतिक्रिया ज़रूर दें...
रोहित कुमार शर्मा

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